Monday 6 December 2010

भारत और फ्रांस के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

परमाणु क्षतिपूर्ति उत्तरदायित्व कानून की वजह से थमा पड़ा देश का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अब रफ्तार पकड़ने जा रहा है। सोमवार को भारत और फ्रांस के बीच दो परमाणु बिजली संयंत्रों की स्थापना सहित परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि अभी बिजली संयंत्रों से जुड़े तकनीकी मुद्दों और कीमतों पर निर्णायक बातचीत बाकी है।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने यहां के कानूनों को परमाणु ऊर्जा व्यापार के लिए अनुकूल बताकर अमेरिका समेत दूसरे पश्चिमी देशों पर हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में भागीदारी का दबाव बढ़ा दिया है। फ्रांस के साथ नाभिकीय साझीदारी के नए युग में पहुंचने को भारत एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देख रहा है। सरकोजी की इस यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में 'अस्पृश्यता' खत्म करने की भारतीय खेमे की कोशिशें सफल होती दिख रही हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सरकोजी के बीच प्रतिनिधिमंडलीय स्तर की वार्ता के बाद पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें सबसे अहम महाराष्ट्र में दो परमाणु बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए अरेवा और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड [एनपीसीआईएल] के बीच हुआ आधारभूत समझौता रहा। इसके तहत राज्य के जैतपुर में करीब 25 अरब डॉलर की लागत से 1650 मेगावाट के दो 'यूरोपीय प्रेशराइज्ड रिएक्टर' स्थापित किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा 'अरेवा और एनपीसीआईएल ने दो मसौदों पर दस्तखत किए हैं, लेकिन अभी कीमतों और दूसरे तकनीकी मसलों पर बातचीत अंतिम दौर में है।' हालांकि सरकोजी के अनुसार 'कीमत और दूसरे तकनीकी मुद्दे सुलटा लिए गए हैं।' उच्चच्दस्थ सूत्र दोनों नेताओं के बयानों में विरोधाभास नहीं देख रहे हैं। उनका कहना है कि फ्रांस आश्वस्त है कि भारतीय कानून उसकी कंपनियों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगे और कोई भी मसला ऐसा नहीं है जो कि हल न हो सके।
फ्रांस ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जो चार अन्य समझौते किए हैं, उनमें जैतपुर परियोजना से जुड़ा 'तत्काल कार्य समझौता' है। इसके तहत यहां से 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। तीसरा समझौता परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के आंकड़ों की गोपनीयता सुनिश्चित करने, चौथा परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी और पांचवा परमाणु ऊर्जा पर बौद्धिक संपदा अधिकार का है।
दुनिया की प्रमुख ताकत फ्रांस का यह रुख भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए बेहद अहम है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश अभी भारतीय कानूनों पर आपत्ति के नाम पर यहां आने से कतरा रहे हैं। अब हमारे परमाणु कानूनों के समर्थन में सरकोजी के झंडा उठाने से अन्य देशों की हिचकिचाहट खत्म होने और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद बलवती हो गई है।
 sabhar-jagran